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बहु - उदे्देशीय प्रा. ग्रा. सहकारी समिति छिछिनी में किसानों का शोषण,निर्धारित दाम से अधिक वसूला जा रहा है मूल्य,अन्न दाता है बेबस,जिम्मेदारों की जुबान बंद*

*बहु - उदे्देशीय प्रा. ग्रा. सहकारी समिति छिछिनी में किसानों का शोषण,निर्धारित दाम से अधिक वसूला जा रहा है मूल्य,अन्न दाता है बेबस,जिम्मेदारों की जुबान बंद*
👉 खाद की किल्लत से जूझते किसान, सिस्टम की मिली भगत से सचिव एवं प्राइवेट दुकानदार हो रहे मालामाल!


 *फतेहपुर।* एक ओर किसान धान के खेतों के लिए यूरिया खाद की कमी से बेहाल हैं, समितियों पर घंटों लाइन लगाने के बाद भी कुछ किसान मायूस होकर लौट रहे हैं। वहीं दूसरी ओर छिछिनी सरकारी समिति में खुलेआम ब्लैक मार्केटिंग का गोरखधंधा चल रहा है। आधार कार्ड और किसान की खतौनी लेकर 280 रुपये की यूरिया की बोरियां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि प्राइवेट दुकानदार यूरिया में सल्फर–जिंक मिलाकर 500 रुपये प्रति बोरी किसानों को देकर ठग रहे है। हालात यह हैं कि “आधार कार्ड, खतौनी देकर 500 रुपये में जितनी बोरी चाहिए ले जाओ”— जैसे मानो दुकानदार ने सिस्टम को खरीदकर किसानों की मजबूरी पर कई लाख का बाजार खड़ा कर दिया हो।

 *कृषि विभाग की मिलीभगत पर उठे गंभीर सवाल* 

किसानों का कहना है कि यह खेल कृषि विभाग की नाक के नीचे उसकी शह पर ही फल-फूल रहा है। सवाल यह है कि जब समितियों में खाद उपलब्ध है तो सचिव 266.50 कि जगह 280 रुपये कि बोरियां आखिर क्यों भेज रहे हैं? किसानों का सीधा आरोप है कि विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों की जुगत और मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी आपूर्ति संभव ही नहीं।

*👉🏼वही स्थानीय किसान ने आक्रोश जताते हुए कहा—*

“दिनभर लाइन लगाने पर भी खाद नहीं मिलती, पिता की तबीयत खराब होने के कारण पिता जी सोसाइटी नहीं आ सकते हैं। तो उनका फिंगर नहीं लग सकता ऐसे में धान की फसल में यूरिया नहीं पड़ी तो हमारा धान खराब हो जाएगा। लेकिन प्राइवेट बाजार में 500 रुपये में बोरी मिल जाती है। यह लूट है और कृषि विभाग की चुप्पी ही सबसे बड़ा सबूत है।”

 *प्रशासन की खामोशी बनी पहेली* 

ग्रामीणों का कहना है कि समितियों में जहां किसान धक्के खा रहे हैं, वहीं प्राइवेट दुकानदार के पास बोरियों का अंबार कैसे खड़ा है? क्या प्रशासन और विभागीय अफसर जानबूझकर आँखें मूँदे बैठे हैं? किसान सवाल कर रहे हैं—
“जब सरकारी गोदामों में खाद है तो आखिर ये बोरी किसके आशीर्वाद से इन दुकानों तक पहुंच रही हैं?”

 *जांच और कार्रवाई की मांग* 

स्थानीय किसानों ने जिला प्रशासन से इस ब्लैक मार्केटिंग की तत्काल जांच कर दोषियों को कठोर दंड देने की मांग की है। किसानों का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

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