फतेहपुर जनपद के असोथर और गाजीपुर थाना क्षेत्र में नशे का कारोबार दिनोंदिन फल-फूल रहा है। आलम यह है कि भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक पदाधिकारी और असोथर क्षेत्र के एक प्रधान ने मिलकर गांजे की खुलेआम सप्लाई का नेटवर्क खड़ा कर रखा है। दोनों थाना क्षेत्रों में कुल नौ स्थान ऐसे बताए जा रहे हैं जहां गांजे की बिक्री धड़ल्ले से होती है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राजनीतिक रसूख के कारण पुलिस भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने में पूरी तरह नाकाम है। गाजीपुर थाना क्षेत्र में चार और असोथर थाना क्षेत्र में पांच जगह गांजे का धंधा खुलेआम चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि असोथर का प्रधान भी खुद को भाजपाई बताता है और उसी के संरक्षण में यह कारोबार जारी है।
*आदेश-निर्देश बेअसर, पुलिस लाचार*
प्रदेश सरकार और आलाधिकारी समय-समय पर मादक पदार्थों की रोकथाम के आदेश जारी कर चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। स्थानीय पुलिस की लाचारी का आलम यह है कि एक सिपाही ने नाम न छापने की शर्त पर कहा "जब सत्ता पक्ष से जुड़े पदाधिकारी ही गांजा बेच रहे हों तो पुलिस क्या कर सकती है। यदि हम कार्रवाई करें तो बड़े नेताओं के फोन आने लगते हैं और हमें ही अपमानित होना पड़ता है। इसलिए जैसा चल रहा है, वैसा ही चलने दे रहे हैं।"
*आबकारी विभाग की सफाई*
इस मामले पर आबकारी इंस्पेक्टर रमेश कुमार ने कहा कि अवैध नशे के कारोबार की शिकायतें मिल रही हैं। टीम लगातार दबिश दे रही है और कुछ स्थानों से गिरफ्तारी भी हुई है। यदि कहीं राजनीतिक संरक्षण के चलते कारोबार चल रहा है तो इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
*थाना प्रभारियों का पक्ष*
इस पर असोथर थाना प्रभारी ने कहा कि गांजे की बिक्री की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर दबिश देती है। कुछ मामलों में कार्रवाई भी हुई है। यदि किसी राजनीतिक पदाधिकारी या प्रधान की संलिप्तता सामने आती है तो जांच के बाद कठोर कदम उठाए जाएंगे।
वहीं गाजीपुर थाना प्रभारी का कहना है कि क्षेत्र में अवैध नशे का धंधा रोकना प्राथमिकता है। पुलिस लगातार गश्त और छापेमारी कर रही है। यदि किसी पर गांजा बेचने का आरोप साबित होता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, चाहे वह कितना भी रसूखदार क्यों न हो।
*ग्रामीणों में नाराजगी*
गांजे की खुलेआम बिक्री से ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है। युवाओं में नशे की लत बढ़ने का डर सताने लगा है। लोग कहते हैं कि पुलिस और प्रशासन जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक सत्ता पक्ष के संरक्षण में यह गोरखधंधा चलता रहेगा और कब पुलिस ईमानदारी से कार्रवाई करेगी।
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