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दलित बस्तीयों में दूषित पानी पीने को हो रहें मजबूर: सालों से सरकारी हैण्डपम्प से दूषित बदबूदार पानी पीने को मजबूर,ग्रामीणों ने बीमारी की जताई आशंका

*दलित बस्तीयों में दूषित पानी पीने को हो रहें मजबूर: सालों से सरकारी हैण्डपम्प से दूषित बदबूदार पानी पीने को मजबूर,ग्रामीणों ने बीमारी की जताई आशंका*


फतेहपुर। फतेहपुर जिले के खागा तहसील क्षेत्र में एक चौका देने वाला मामला सामने आया है जहाँ पर 25 वीं ईशा. में भी दलितों को दलित की भावना से देखा जा रहा है उनकी समस्याओं को अनदेखा करके उन्हें बीमारी के मुंह में ढकेला जा रहा है।

बताते चले कि ऐरायाँ विकास खंड के डांडीहार मजरे धनकामई गाँव के दलित बस्ती में दूषित पानी पीने को दर्जनों घऱ मजबूर हो रहें हैं, हलांकि गाँव के संदीप कुमार सहित कई लोगों ने बताया कि पूर्व में कई बार शिकायत खंड विकास अधिकारी से लेकिन जिलाधिकारी महोदय फतेहपुर और तहसील दिवस एंव जनसुनवाई पोर्टल में भी शिकायत दर्ज कराई गयीं है लेकिन अधिकारियों द्वारा गलत रिपोर्ट भेजकर समस्या का निस्तारण कर दिया गया है। जबकि गाँव में पानी की तस्वीरे जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रहीं हैं।

बताते चलें कि जहां एक तरफ भारत सरकार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार में सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली और स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का डिंडोरी पीटने वाली सरकार फतेहपुर जिले के ऐरायाँ विकास खंड अंतर्गत डांडिहार मजरे धनकामई गांव के पूरी तरह फेल नज़र आ रही है। वहीं दर्जनों ग्रामीणों ने बताया की स्वच्छता से लेकर पेयजल की शुद्धता ग्रामीणाअंचलों में कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है जिससे कि ना तो कहीं पर स्वच्छता है ना ही लोगों में स्वथता दिखाई देती है। किसी ने सही कहा है की " ढोल के अंदर पोल" का मुहावरा सबित हो रहा है। यह गाँव सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ सरकार की फेलियर का प्रमाण दे रही।

 इतना ही नहीं बल्कि गांव के लोगों का कहना रहा कि आज 25वीं ईशा में भी दलितों को दलित की भावना से देखा जा रहा है क्योंकि इनकी शिकायतों को नज़र अंदाज करके उन्हें दूषित पानी पीने को मजबूर किया जा रहा है।

पुरे मामले में नव नियुक्त एडिओ पंचायत अर्पण अग्रवाल कहना रहा कि मामला संज्ञान में नहीं था, अब तत्काल टीम गठित करके जाँच कराकर समस्या को खत्म कराई जाएगी।

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