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फतेहपुर में पुलिस कप्तान की बड़ी कार्रवाई – थानों–चौकियों में हिल गया भ्रष्टाचार का खेल!

*फतेहपुर में पुलिस कप्तान की बड़ी कार्रवाई – थानों–चौकियों में हिल गया भ्रष्टाचार का खेल!* 


 *फतेहपुर* ।जिले में कानून व्यवस्था को चुस्त–दुरुस्त बनाने के लिए पुलिस अधीक्षक अनूप सिंह ने कड़ी कार्रवाई करते हुए बड़े पैमाने पर फेरबदल किया। इस दौरान निरीक्षक 2, उपनिरीक्षक 44, मुख्य आरक्षी 71, आरक्षी 38, महिला आरक्षी 13, महिला मुख्य आरक्षी 1 तथा कंप्यूटर आरक्षी ग्रेड–A, B – 2 का तबादला किया गया।
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है *जब कई थानों और चौकियों पर बैठे कुछ पुलिस अधिकारी लंबे समय से जमे हुए थे और अपनी कुर्सी का इस्तेमाल जनता के शोषण और भ्रष्टाचार के लिए कर रहे थे।* 
 *भ्रष्ट चौकी इंचार्जों का खेल खत्म – कप्तान की सख्ती से खुली सांठगांठ* 
पुलिस अधीक्षक की सक्रियता और कड़े अनुशासन ने यह साफ कर दिया है कि जिले में अब वही पुलिसिंग चलेगी जिसमें जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी जाएगी। लंबे *अरसे से चौकियों पर डटे उपनिरीक्षक और थानाध्यक्ष सत्ता पक्ष के संरक्षण में मनमानी कर रहे थे। नाजायज़ वसूली से लेकर निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसाने तक का खेल खुलेआम चल रहा था।* 
कप्तान ने यह साफ कर दिया है कि ऐसे अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा और जनता का भरोसा ही उनकी असली ताकत है।
*जनता के सामने बड़ा सवाल – क्या नेताओं के पाले हुए भ्रष्ट थानाध्यक्षों पर भी गिरेगी गाज?* 
जिले के कुछ थानों में ऐसे थानाध्यक्ष तैनात हैं जिनकी कार्यशैली ने पुलिस की छवि को बदनाम किया है। आरोप है कि *इन्हें सत्ता पक्ष के नेताओं का सीधा संरक्षण मिला हुआ है और यही वजह है कि इन पर कार्रवाई करने से पहले हर बार राजनीतिक दीवार खड़ी हो जाती है। अवैध कारोबार से लेकर गुंडागर्दी तक में नेताओं की छत्रछाया इन थानाध्यक्षों को खुला लाइसेंस दे चुकी है। अब जिले की जनता यह देखना चाहती है कि कप्तान अनूप सिंह की यह सख्ती उन *नेताओं की सरपरस्ती वाले भ्रष्ट थानाध्यक्षों तक पहुंचेगी या फिर वही पुराना खेल चलता रहेगा
सवाल – पुलिसिंग पर दाग मिटेगा या और गहराएगा?* 
जिले की जनता और पुलिस तंत्र अब आमने–सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ कप्तान की ईमानदार छवि और सख्त अनुशासन है, वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं की जुगलबंदी। अगर पुलिस अधीक्षक अपनी इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचा देते हैं तो न केवल पुलिस की साख बचेगी, बल्कि जनता का भरोसा भी लौट आएगा।वरना यह साफ है कि जनता का शोषण करने वाले थानाध्यक्ष और उनके राजनीतिक संरक्षक ही पुलिसिंग पर सबसे बड़ा दाग हैं।

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