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खागा नौबस्ता रोड की बदहाली पर बिफरे प्रवीण पांडेय गड्ढा मुक्ति बनी मजाक, अधिकारी बने लापरवाह

*खागा नौबस्ता रोड की बदहाली पर बिफरे प्रवीण पांडेय गड्ढा मुक्ति बनी मजाक, अधिकारी बने लापरवाह*

 खागा नौबस्ता रोड की जर्जर हालत ने राहगीरों का जीना मुहाल कर दिया है। जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। बरसात में यह सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है और पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। स्थानीय लोग वर्षों से मरम्मत की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है।
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष, पर्यावरणविद एवं लेखक प्रवीण पांडेय बुंदेलखंडी ने इस बदहाल सड़क को लेकर कड़ा आक्रोश जताया। उन्होंने कहा – “PWD विभाग को कहना चाहूंगा, तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता काफिला क्यों लुटा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के आदेश भी इनके लिए मायने नहीं रखते। गड्ढा मुक्ति अब मजाक बनकर रह गई है।”उन्होंने कहा कि मई माह में जनता के सहयोग से धरना-प्रदर्शन और अनशन किया गया था। उस समय शिवचंद्र शुक्ल, राजेश चौधरी, धर्मेंद्र दीक्षित, गगन अग्रवाल, महेंद्र सिंह भदौरिया (भाकियू आरा), अशोक सिंह मास्टर साहब, अतेवा अश्वनी तिवारी एडवोकेट, कौशल जी, अखिलेश मौर्य और अन्य लोगों का प्रमुख सहयोग रहा था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन अफसोस, उसके बाद न तो किसी राजनीतिक संगठन ने और न ही किसी सामाजिक संगठन ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई।पांडेय ने दुख जताते हुए कहा – “आज फिर हमने ही व्यापार मंडल के जरिए आवाज उठाई है। यदि उसमें भी सहयोग न मिले तो यह बेहद निराशाजनक है।”उन्होंने साफ कहा कि अधिकारी किसी जाति-धर्म या राजनीतिक झुकाव के नहीं होते। ऐसे में जो लोग उनसे प्रेम प्रलाप करते हैं, वे जनता को गुमराह करते हैं। सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान “अधिकारियों की चापलूसी से नहीं, बल्कि संघर्ष से ही संभव है।”पांडेय ने याद दिलाया कि “सड़क सत्याग्रह का ही परिणाम था कि गाजीपुर–विजयीपुर सड़क का निर्माण हुआ। यदि जनता एकजुट हो तो विभाग को झुकना पड़ता है।” उन्होंने बुंदेलखंड राष्ट्र समिति की ओर से आश्वासन दिया कि यह लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि संगठन सिर्फ बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि भारत माता की हर संतान के उत्थान के लिए समर्पित है।

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