आज की इस झूठ भरी दलदल में माफियाओं की दबंगइ के लोहे को अपनी कलम के दम पर उजागर करते हुए समाज के हर पहलुओं पर विचार करना व सामाजिक गंदगी को समाज के सामने लाने जैसे जोखिम भरे काम करने के साथ अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर सीधा कलम का प्रहार करना एक पत्रकार की जीवन शैली का मुख्य उद्देश्य होता है बदले में एक पत्रकार को मिलता क्या है जब कि दबंगों के आलम यह होते कि अगर मुंह में भ्रष्टाचार रुपी कीचड़ लगा है तो कीचड़ साफ करनें के बजाय वह हमेशा आईना तोड़ने तोड़ने का प्रयास भी किया जाता है वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की अफसरशाही से परेशान हो आम जनता की समस्याओं पर प्रकाश डालने पर भी कहीं न कहीं अधिकारियों का रवैया पत्रकारों के प्रति द्वेषपूर्ण होता है कभी कभी तो सच्चे कलमकारों को झूठे मुकदमे जैसा उपहार भी अधिकारियों के द्वारा बड़े ही शान से लिखाए जाते हैं इतना दंश झेलने के बाद भी एक इमानदार लेखक पत्रकार को बिना तनख्वाह के गुज़ारा करना पड़ता है और और अगर पत्रकार सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहें तो वहीं द्वेशधारित अधिकारी उसमें अड़चन पैदा करने में कोताही नहीं बरतते एक पत्रकार की दिनचर्या की अगर बात करें तो वह सुबह होते ही भागदौड़ के पैगाम आने शुरू हो जाते हैं चाहे बाइक में पेट्रोल हो न हो लेकिन एक कलमकार के अंदर घटनास्थल पर पहुंचकर कवरेज करने का जज्बा जरूर होता है और हर हाल कवरेज करते हैं वहीं अगर बात करें सरकार की तो पत्रकारों के सुरक्षा और सम्मान के लिए सरकार के झोले हमेशा खाली ही पाए जाते हैं जबकि नेताओं को हर छोटी-बड़ी गतिविधियां अखबार व चैनलों पर दिखाए जाने की बड़ी डिमांड रहती है परंतु वहीं नेता जब किसी संवैधानिक कुर्सी पर बैठने के बाद यह भूल जाते हैं कि जिन पत्रकारों की अथक मेहनत के दम पर नेता जी चमक रहे हैं उन पत्रकारों के घर का ख़र्च कैसे चल रहा होगा आखिर इस भागदौड़ भरी जिंदगी में एक पत्रकार अपनी जीवन रुपी नैया कैसे चला रहा होगा
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