नहीं कन्या है जिस घर में, वो घर शमशान होता है,
खुदा जिस रोज कन्या दे, वो दिन रमजान होता है।
जहाँ मंगल कलश लेकर, कोई कन्या पहुँच जाए,
वही तीरथ है दुनियाँ के, वहीं भगवान होता है।
बिना बेटी नहीं मंगल, ये वेदों मे बताया है,
किसी सद्ग्रन्थ मे मंगल, न बेटों को बताया है।
किसी शुभ कार्य में कन्या, चले मंगल कलश ले कर,
उसे सम्पूर्ण होने से, न कोई रोक पाया है।
करेगी काम जो बेटी, वो बेटा कर नहीं सकते,
हरे दुख ताप जो बेटी, वो बेटे नहीं हर सकते।
यही सब की करें सेवा, सभी का ख्याल रखती हैं,
ये घर का काम करती हैं, जो बेटे नहीं कर सकते।
अगर बेटी पढ़ेगी तो, गढेगी एक दिन दुनियाँ,
चढ़ी है फिर पहाड़ों पर, चढ़ेगी एक दिन मुनिया।
हुई हर काम में आगे, चुनौती दे रही बेटी,
की फिर से कल्पना बन कर, उड़ेगी एक दिन मुनिया।
बेटी है तो कल है, बिना बेटी के कल नहीं,
वर्षा है तो जल है, बिना वर्षा के जल नहीं।
बेटी से है संभावना, कल के भविष्य की,
है वृक्ष तो फल है, बिना वृक्ष के फल नहीं।
लेखिका
✍️रनों सिंह राठौर
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