बिशारतगंज सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। ग्राम कंधरपुर में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को पांच महीने पहले एक्सपायर हो चुकी दवाइयाँ देने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, अस्पताल की फार्मेसी से मरीजों को दवाइयाँ दी गईं। लेकिन जब मरीजों और उनके परिजनों ने पैकेट पर लिखी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट देखी, तो उनके होश उड़ गए। दवा की एक्सपायरी डेट 5 माह पहले ही खत्म हो चुकी थी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक्सपायर दवा मरीजों की जान के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। इससे गंभीर दुष्प्रभाव और कभी-कभी मौत तक का खतरा रहता है
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। मरीजों के परिजनों का कहना है
हम इलाज के लिए अस्पताल आते हैं और यहां हमें ज़हर जैसी दवा दी जा रही है। यह सीधी लापरवाही नहीं बल्कि अपराध है।"
यहां पर तैनात फार्मासिस्ट मोहित खुलेआम डॉक्टरों के सारे काम कर रहे हैं। मरीजों का आरोप है कि मोहित न तो मरीजों का रजिस्ट्रेशन करते हैं, न ही इलाज का कोई पर्चा देते हैं। इसके बावजूद उनसे पैसे लेकर इलाज किया जाता है।
गंभीर आरोप यह भी है कि जब कोई जटिल बीमारी सामने आती है तो मोहित मरीजों को सिरप या ट्यूब थमा देते हैं और उसके बदले में कैश वसूलते हैं। लोगों का कहना है—
"यहां इलाज नहीं, खुलेआम कारोबार हो रहा है। पर्चा नहीं मिलने की वजह से मरीजों का मेडिकल रिकॉर्ड भी नहीं बनता। अगर कोई बड़ी बीमारी हो जाए तो मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है
स्वास्थ्य विभाग की नीतियों के मुताबिक, फार्मासिस्ट सिर्फ दवा वितरण के लिए जिम्मेदार होते हैं, इलाज करना और मरीजों का परीक्षण करना केवल डॉक्टर का काम है। लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखकर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
अब सवाल उठता है कि आखिर इस खेल में और कौन शामिल है? क्या प्रशासन इसकी जांच करेगा या यह गोरखधंधा ऐसे ही चलता रहेगा?
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