खागा नगर पंचायत पूर्व प्रत्याशी रत्नेश रत्ना', दिनाकं 31/8/2025को अपने साथियों के साथ जनपद फतेहपुर थाना धाता के अन्तर्गत अजरौली के पीड़ित परिवारों से मिलने जा रही थी। तभी रास्ते में धाता मोड़ पर पुलिस प्रशासन ने बैरिकेडिंग लगाकर रत्नेश रत्ना रोक लिया। कारण पूछने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला, बस इतना कहा गया कि आप लोग आगे नहीं जा सकते।
जिसमे समाजवादी पार्टी की कार्यकर्ता रत्नेश रत्ना के साथ कुल सात लोग एक ही गाड़ी में थे, कोई जुलूस या काफ़िला नहीं था। अगर सच में सुरक्षा या प्रशासनिक कारण से जाने की अनुमति नहीं थी, तो सम्मानपूर्वक रोक सकते थे। पर अफ़सोस की बात यह है कि उसी समय बीजेपी की गाड़ी को बिना रोके जाने दिया गया।
करीब दो घंटे तक हमने सवाल पूछे, पर कोई संतोषजनक कारण नहीं मिला। अंततः जब हमने पैदल जाने का निर्णय लिया, तो हमारे साथियों को हिरासत में ले लिया गया और हमें भी रोक दिया गया। हमारा मक़सद केवल पीड़ितों का हाल जानना था, कोई विरोध या विवाद खड़ा करना नहीं।
हम पुलिस प्रशासन का सम्मान करते हैं, लेकिन क्या इस तरह का भेदभाव लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुकूल है...?
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